भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-94/2024-25/शुक्र.                                                                                                                समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                                                दिनांक: 21-02-2025

बीते सप्ताह का मौसम (15 फरवरी से 21 फरवरी, 2025)

सप्ताह के दौरान आसमान साफ़ रहा। 20 फरवरी को 1.0 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 25.5 से 29.2 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 23.4 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 9.1 से 14.8 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 9.3 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 71 से 95 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 54 से 71 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 7.6 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 6.0 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 3.5 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 3.8 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 3.9 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 3.0 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-02-222025-02-232025-02-242025-02-252025-02-26
वर्षा (मि.मी.) 0.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}2828292928
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}1010111314
बादलों की स्थिति (ओक्टा)22444
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9085808085
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम4035353035
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1212121206
हवा की दिशाउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमपूर्व-दक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
विशेष मौसम

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 26 फरवरी, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • मौसम शुष्क रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए खड़ी रबी फसलों एवं सब्जियों में हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है, सिंचाई सुबह या शाम के समय ही करें।
  • इस मौसम में मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई हेतु किसान किसी प्रमाणित स्रोत से उन्नत बीजों का संग्रह करें। मूंग– पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल-32; उड़द– पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35, पी डी यू-1। अधिक उत्पादन के लिए बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें।
  • मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई हेतु ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई करें। बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज की मात्रा 10-15 कि.ग्रा./एकड़।
  • मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूँ की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा अथवा पीला रतुआ अधिक आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पीला रतुआ के लिये 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आता है। 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से उपर रोग का  फैलाव नहीं होता। भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी यूक्त जलवायु आवश्यक है। काला रतुआ के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान ओर नमी रहित जलवायु आवश्यक है। 
  • मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें। इस कीट के नियंत्रण के लिए वे सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव सब्जियों की तुडाई के बाद करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें। 
  • वर्तमान तापमान फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली मूली इत्यादि की सीधी बुवाई हेतु अनुकूल है क्योंकि बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें।
  • मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई इस सप्ताह कर सकते हैं।
  • इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में नीला धब्बा रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि (1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें।
  • मौसम को ध्यान में रखते हुए टमाटर के फलों को फली छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं।
  • इस मौसम में बैंगन की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली. / 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • इस मौसम में गेंदे में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की सम्भावना बढ जाती है अत: किसान फसल की निगरानी करते रहें यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम\लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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