भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-48/2024-25/शुक्र.                                                                                                                    समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                         दिनांक: 13-09-2024

बीते सप्ताह का मौसम (07 सितम्बर, से 13 सितम्बर, 2024)

सप्ताह केदौरानआसमानमें बादल छाये रहें। 08 सितम्बर को 5.4 मिमी वर्षा, 11 सितम्बर को 13.6 मिमी वर्षा, 12 सितम्बर को 9.4 मिमी वर्षा तथा 13 सितम्बर को 27.6 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 28.0 से 36.0 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 33.3 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 22.6 से 25.6 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 24.4 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 89 से 98 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 61 से 92 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 2.1 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 5.8 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 1.3 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 3.4 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 1.8 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 4.7 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2024-09-142024-09-152024-09-162024-09-172024-09-18
वर्षा (मि.मी.) 5.00.00.00.02.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3233343435
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2325242426
बादलों की स्थिति (ओक्टा)73336
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9580808085
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम6050505055
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1016101208
हवा की दिशापश्चिमपश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर दक्षिण-दक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
7.0 mm
विशेष मौसम
बहुत हल्की से हल्की वर्षा तथा तेज़ सतही हवाएँ (25-35 किमी प्रति घंटे) चलने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 18 सितम्बर, 2024 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं। उन्नत किस्में- पूसा प्रगति, बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दे तथा अगले दिन बुवाई करें।
  • सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की व्यवस्था करें तथा खेतों को तैयार करें।
  • इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते हैं। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा। बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
  • इस मौसम में फसलों व सब्जियों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है अतः किसान फसलों की निगरानी करें यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफाँस 20 ई सी @ 4.0 मि.ली/लीटर सिंचाई जल के साथ देवें।
  • इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलों व सब्जियों में सफ़ेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़­काव आसमान साफ होने पर करें।
  • इस मौसम में किसान धान के ब्लास्ट (बदरा) रोग का आक्रमण होने की निगरानी हर 2 से 3 दिन के अंतराल पर करें। इस रोग का सूचक है पत्तियों में एक छोटी आँख जैसा धब्बा जिसका अंदर का भाग हल्का भूरा और बाहर गहरे भूरे रंग का होता है। आगे जाकर अनेक धब्बे मिलकर एक बड़ा धब्बा बन जाता है।
  • इस मौसम में धान (पूसा सुगन्ध-2511) में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है। इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल जाते है। इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से आवश्यकतानुसार पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
  • इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है अतः किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें। यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
  • इस मौसम में धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाए तथा प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दानें 10 किलोग्राम/एकड़ का बुरकाव करें।
  • इस मौसम में धान में पत्ती लपेटक कीट के आने की संभावना रहती हैं अतः किसान भाईयों से सलाह है कि वे धान के खेत को 2 से.मी. तक पानी से भर दें, एक रस्सी के दोनो कोनो को दो व्यक्ति खेत के दोनो कोनो पर खड़े होकर पकड़कर इस तरह आगे बढ़े ताकि रस्सी फसल को छूते हुए पत्तिओं को झुका दे। इस प्रक्रिया से कीट पानी में झड़कर गिर जाते हैं। इसके उपरांत खेत से पानी निकाल दें और कीटों को एकत्र कर मार दें।
  • इस मौसम में सब्जियों (मिर्च, बैंगन) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड़ बेक मोथ की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाए तथा प्रकोप अधिक हो तो स्पेनोसेड़ दवाई 1.0 मि.ली./4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़­काव आसमान साफ होने पर करें।
  • इस मौसम में सरसों साग- पूसा साग-1, मूली- समर लोंग, लोंग चेतकी; पालकआल ग्रीन तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें। 
  • मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें ।
  • इस मौसम में कीटों की रोकथाम के लिए प्रकाश प्रपंच का भी इस्तेमाल कर सकते है।इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बरतन में पानी और थोडा कीटनाशी मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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