भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-32, क्रमांक:-04/2025-26/शुक्र.                                                                      समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                    दिनांक: 11-04-2025

बीते सप्ताह का मौसम (05 अप्रैल से 11 अप्रैल, 2025)

सप्ताह के दौरान आसमान साफ़ रहा। दिन का अधिकतम तापमान 37.8 से 40.4 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 34.5 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 18.4 से 24.7 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 17.1 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 51 से 75 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 43 से 53 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 9.1 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 8.5 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 4.7 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 4.7 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 6.4 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 6.5 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-04-122025-04-132025-04-142025-04-152025-04-16
वर्षा (मि.मी.) 1.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3639404141
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2020222323
बादलों की स्थिति (ओक्टा)42022
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम7065606065
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम3530252530
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1015131510
हवा की दिशादक्षिणपूर्व-उत्तर-पूर्वदक्षिण-दक्षिण-पूर्व पूर्वउत्तर
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
1.0
विशेष मौसम
तेज़ सतही हवाएँ (गति 20-30 किमी प्रति घंटा) चलने की संभावना हैl

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 16 अप्रैल, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडारघर की सफाई करें तथा अनाज को सुखा लें। दानों में नमी 12 प्रतिशत से ज्यादा नही होनी चाहिए। भंडारघर को अच्छे से साफ कर लें। छत या दीवारों पर यदि दरारें है तो इन्हे भरकर ठीक कर लें। बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें। बोरियों को धूप में सुखाकर रखें। जिससे कीटों के अंडे तथा लार्वा तथा अन्य बीमारियाँ आदि नष्ट हो जावें। किसानो को सलाह है की कटी हुई फसलों तथा अनाजों को सुरक्षित स्थान पर रखे।
  • इस मौसम में तैयार गेहूँ की फसल की कटाई की सलाह है। किसान कटी हुई फसलों को बाँधकर तथा ढककर रखे अन्यथा तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है। गहाई के उपरांत भंडारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखा दें।
  • रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। 
  • इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खडी फसलों तथा सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। सिंचाई सुबह या सायं के समय करें जब हवा की गति कम हो।
  • अधिक तापमान से टमाटर, मिर्च एवं बैंगन की फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि 2 % Nephthalene acetic acid (NAA) का घोल खड़ी फसलों फर छिडकाव करें ताकि फलों का विकास अवरुद्ध न हो।
  • मूंग की फसल की बुवाई हेतु किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। मूंग– पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल- 32, एस एम एल- 668, सम्राट; बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • टमाटर, मटर, बैंगन फसलों में फलों को फल छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव सुबह या सायं के समय करें। 
  • इस मौसम में बेलवाली सब्जियों में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है। यदि रोग के लक्षण दिखाई दे तो कार्बेन्डाज़िम @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव सुबह या सायं के समय करें। बेलवाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हो तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें।
  • फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई हेतु वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 @ 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव सुबह या सायं के समय करें। 
  • प्याज की फसल में इस अवस्था में उर्वरक न दे अन्यथा फसल की वनस्पति भाग की अधिक वृद्धि होगी और प्याज की गांठ की कम वृद्धि होगी। 
  • इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बेबी कार्न की एच एम-4 की भी बुवाई कर सकते हैं। 
  • रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दे ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडो के अण्डे तथा घास के बीज नष्ट हो जायेंगे।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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