भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-26/2024-25/शुक्र.                                                                                 समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                       दिनांक: 28-06-2024

बीते सप्ताह का मौसम (22 से 28 जून, 2024)

सप्ताह के दौरान आसमान में बादल छाये रहें। 22 जून को 14.2 मिमी वर्षा 25 जून को 5.2 मिमी वर्षा तथा 28 जून को 94.8 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 32.0 से 39.0 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 36.8 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 24.2 से 30.6 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 27.0 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 69 से 98 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 47 से 72 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 2.5 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 5.0 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 3.7 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 5.5 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 4.1 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 6.9 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही। 


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2024-06-292024-06-302024-07-012024-07-022024-07-03
वर्षा (मि.मी.) 65100353515
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3333323232
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2526252525
बादलों की स्थिति (ओक्टा)88888
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9595959590
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम6065656060
हवा की गति (कि.मी/घंटा)2025181224
हवा की दिशाउत्तर-पश्चिमदक्षिण-पश्चिम दक्षिणपूर्वदक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
250.0 mm
विशेष मौसम
तेज़ हवाओं (गति 30-40 किमी प्रति घंटे) के साथ भारी से बहुत भारी बारिश/आंधी आने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 03 जुलाई, 2024 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की सब्जी नर्सरी, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में जल निकास का उचित प्रबंधन रखे तथा खडी फसलों व सब्जियों में किसी प्रकार का छिड़काव ना करें।
  • जिन की धान की नर्सरी 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में धान की रोपाई शुरू करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/ हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।
  • धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियॉ यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिडकाव करें।
  • इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई के लिए खेतो को तैयार करें। संकर किस्में ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3,पूसा कम्पोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति-पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें। जल निकास का उचित प्रबंधन रखे। 
  • यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें तथा लोबिया की बुवाई का भी यह उप्युक्त समय है।
  • यह समय मिर्च,बैंगन व फूलगोभी (सितम्बर में तैयार होने वाली किस्में) की पौधशाला बनाने के लिए उपयुक्त है। किसान भाई पौधशाला में कीट अवरोधीनाईलोन कीजाली काप्रयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें। पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट द्वारा 6.5 फीट की ऊँचाई पर ढक सकते है। बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ कि.ग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें।
  • जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई की तैयारी करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन,पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार तथा खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई करें। जल निकास का उचित प्रबंधन रखे। 
  • मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें। 
  • फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों में गोबर की खाद मिलाकर 5.0 मि.ली. क्लोरपाईरिफाँस एक लीटर पानी में मिलाकर गड्डों में ड़ालकर गड्डों को पानी से भर दे ताकि दीमक तथा सफेद लट से बचाव हो सके।
  • देशी खाद (सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट) का अधिकाधिकप्रयोग करें ताकि भूमिकी जल धारण क्षमताऔर पोषक तत्वों कीमात्रा बढ़ सके। मृदा जाचँ के उपरांत उवर्रको की संतुलित मात्रा का उपयोग करें खासतौरपर पोटाश की मात्राबढ़ाएं ताकि पानी की कमी के दौरान फसल की सूखे से लड़नेकी क्षमता बढ़ सके।  वर्षा आधारित एवं बारानी क्षेत्रों में भूमि मे नमी संचयन के लिए पलवार(मलचिंग) का प्रयोग करना लाभदायक होगा।
  • वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वे वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते है।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक    

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)    

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)


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