भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-32, क्रमांक:-73/2025-26/मंग.                                                                                                                                                 समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                                                     दिनांक: 09-12-2025

बीते सप्ताह का मौसम (03 से 09 दिसम्बर, 2025)

सप्ताह केदौरान सुबह के समय आंशिक रूप से धुंध/हल्का कोहरा रहा। दिन का अधिकतम तापमान 22.2 से 25.4 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 24.7 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 4.1 से 9.1 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 8.0 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 76 से 100 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 29 से 38 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 6.2 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 4.9 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 2.7 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 2.2 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 1.7 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 2.6 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-12-102025-12-112025-12-122025-12-132025-12-14
वर्षा (मि.मी.) 0.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}2424232424
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}0907080910
बादलों की स्थिति (ओक्टा)22444
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9590959598
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम4545455055
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1510101010
हवा की दिशाउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमदक्षिण-दक्षिण-पूर्व पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
0.0
विशेष मौसम
आसमान मुख्यतः साफ़ रहेगा। सुबह के समय हल्का कोहरा रहेगा।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 14 दिसम्बर, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • जिन किसानों की गेहूँ की फसल 21-25 दिन की हो गयी हो, वे अगले पाँच दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई करें। सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें।
  • तापमान को ध्यान में हूए रखते किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूँ की बुवाई अतिशीघ्र करें। बीज दर–125 कि.ग्रा.प्रति हैक्टर। उन्नत प्रजातियाँ- एच. डी. 3059, एच. डी. 3237, एच. डी. 3271, एच. डी. 3369, एच. डी. 3117, डब्ल्यू. आर. 544, पी.बी.डब्ल्यू. 373, बुवाई से पूर्व बीजों को बाविस्टिन @ 1.0 ग्राम या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5.0 लीटर/हैक्टर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दे। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 150, 60 व 40 कि.ग्रा./ हैक्टर होनी चाहिये।
  • देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें। औसत तापमान में कमी को मध्यनजर रखते हुए सरसों की फसल में सफ़ेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें। 
  • इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सडी हूई गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें।
  • हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झूलसा रोग आने की संभावना है अतः फसल की नियमित रूप से निगरानी करें। लक्ष्ण दिखाई देने पर डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
  • जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुये पौधों की रोपाई कर सकते हैं।
  • गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें यदि सख्याँ अधिक हो तो बी. टी.@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एम.एल./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • इस मौसम में किसान सब्जियों कीनिराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें। 
  • इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इसको रोकने हेतु किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे। तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जायेंगे।
  • सापेक्षिक आर्द्रता के अधिक रहने की सम्भावना को ध्यान में रखते हूए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें। 
  • किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐ। क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है। नमी  मृदा में संरक्षित रहती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हेक्टेयर किया जा सकता है।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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