भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-06/2024-25/शुक्र.                                                                            समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                  दिनांक: 19-04-2024

बीते सप्ताह का मौसम (13 से 19 अप्रैल, 2024)

सप्ताह के दौरान आसमान साफ रहा। 14 अप्रैल को 8.4 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 33.9 से 39.0 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 37.0 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 19.8 से 22.2 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 20.1 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 64 से 84 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 28 से 44 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 6.4 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 8.0 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 3.6 कि.मी. प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 4.8 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 4.6 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 7.6 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा उत्तर पश्चिम दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2024-04-202024-04-212024-04-222024-04-232024-04-24
वर्षा (मि.मी.) 0.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3837373838
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2122232221
बादलों की स्थिति (ओक्टा)62600
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम7065656565
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम3530353025
हवा की गति (कि.मी/घंटा)2616201618
हवा की दिशाउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिम
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
0.0 mm
विशेष मौसम
दिन के दौरान तेज़ हवाएँ (गति 25-35 किमी प्रति घंटे) चलने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 24 अप्रैल, 2024 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडारघर की सफाई करें तथा अनाज को सुखा लें। दानों में नमी 12 प्रतिशत से ज्यादा नही होनी चाहिए। भंडारघर को अच्छे से साफ कर लें। छत या दीवारों पर यदि दरारें है तो इन्हे भरकर ठीक कर लें। बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें। बोरियों को धूप में सुखाकर रखें। जिससे कीटों के अंडे तथा लार्वा तथा अन्य बीमारियाँ आदि नष्ट हो जावें। किसानो को सलाह है की कटी हुई फसलों तथा अनाजों को सुरक्षित स्थान पर रखे।
  • किसान कटी हुई फसलों को बाँधकर तथा ढककर रखे अन्यथा तेज हवा या आंधी से फसल एक खेत से दूसरे खेत में जा सकती है तथा हल्की वर्षा की संभावना से कटी फसलों को नुकसान से बचाया जा सकें। गहाई के उपरांत भंडारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखा दें।
  • इस समय मूंग के उन्नत बीजों (पूसा विशाल, पूसा 672, पूसा 9351, पंजाब 668 ) की बुवाई करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फाँस्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। 
  • वर्तमान तापमान फ्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलई, भिंण्डी, लौकी, खीरा, तुरई आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली की सीधी बुवाई हेतु अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें।
  • रबी फसल यदि कट चुकी है तो उसमें हरी खाद के लिए खेत में पलेवा करें। हरी खाद के लिए ढ़ेचा, सनई अथवा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है। 
  • ग्वार, मक्का, बाजरा, लोबिया आदि चारा फसलों की बुवाई इस सप्ताह कर सकते है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है। बीजों को 3-4 से.मी. गहराई पर डाले और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 से.मी. रखें।
  • इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है।  यदि रोग के लक्षण अधिक दिखाई दे तो कार्बंन्डिज्म @ 1 ग्राम/लीटर पानी दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें। 
  • इस मौसम में भिंडी की फसल में माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर इथेयाँन @ 1.5-2 मि.ली./लीटर पानी की दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें। 
  • प्याज की फसल में इस अवस्था में उर्वरक न दे अन्यथा फसल की वनस्पति भाग की अधिक वृद्धि होगी और प्याज की गांठ की कम वृद्धि होगी। 
  • बैंगन तथा टमाटर की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। साथ ही कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड़ कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
  • रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दे ताकि सूर्य की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडो के अण्डे तथा घास के बीज नष्ट हो जायेंगे। 

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक 

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)    

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)


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