भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-103/2024-25/मंग.                                                                                                       समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                                      दिनांक: 25-03-2025

बीते सप्ताह का मौसम (19 से 25 मार्च, 2025)

सप्ताह के दौरान आसमान साफ़ रहा। दिन का अधिकतम तापमान 30.0 से 36.0 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 31.2 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 13.1 से 15.4 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 15.2 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 79 से 85 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 49 से 65 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 9.8 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 7.9 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 4.1 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 4.6 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 4.8 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 5.4 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-03-262025-03-272025-03-282025-03-292025-03-30
वर्षा (मि.मी.) 0.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3738373535
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}1618191816
बादलों की स्थिति (ओक्टा)22224
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम8085706565
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम1720201520
हवा की गति (कि.मी/घंटा)0814242020
हवा की दिशाउत्तर-उत्तर-पश्चिमपश्चिमपश्चिम-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिम
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
0.0
विशेष मौसम

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 30 मार्च, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खडी फसलों तथा सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। सिंचाई सुबह या सायं के समय करें जब हवा की गति कम हो।
  • तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए गेंहू फसल में 2 % पोटेशियम नाइट्रेट या 0.2% म्यूरेट ऑफ़ पोटाश उर्वरक का घोल बना कर फसल पर छिडकाव करें ताकि बढ़ते तापमान के प्रभाव को कम किया जा सकें।
  • अधिक तापमान से टमाटर, मिर्च एवं बैंगन की फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि 2 % Nephthalene acetic acid (NAA) का घोल खड़ी फसलों फर छिडकाव करें ताकि फलों का विकास अवरुद्ध न हो।
  • पूर्ण रूप से पके तोरिया या सरसों की फसल को अतिशीघ्र काट दें। 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं। फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है। अधिक समय तक कटे फसलों को सुखने के लिए खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है अतः वे जल्द से जल्द गहाई करें। गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है।
  • मूंग की फसल की बुवाई हेतु किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें। मूंग– पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल- 32, एस एम एल- 668, सम्राट; बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • टमाटर, मटर, बैंगन व चना फसलों में फलों/ फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें। फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें। 
  • सब्जियों में चेपा के आक्रमण की निगरानी करते रहें। वर्तमान तापमान में यह कीट जल्द ही नष्ट हो जाते हैं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से पके फलों की तुड़ाई के बाद छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद कम से कम एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें।
  • इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है।  यदि रोग के लक्षण दिखाई दे तो कार्बेन्डाज़िम @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें। बेलवाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हो तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें।
  • फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई हेतु वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 @ 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें। 
  • इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बेबी कार्न की एच एम-4 की भी बुवाई कर सकते हैं। 
  • आम तथा नींबू में पुष्पन के दौरान सिंचाई ना करें तथा मिलीबग व होपर कीट की निगरानी करते रहें।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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