भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-34/2024-25/शुक्र.                                                                         समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                           दिनांक: 26-07-2024

बीते सप्ताह का मौसम (20 से 26 जुलाई, 2024)

सप्ताह केदौरानआसमानमें बादल छाये रहें। 23 जुलाई को 58.0 मिमी वर्षा 24 जुलाई को 80.8 मिमी वर्षा 25 जुलाई को 11.8 मिमी वर्षा तथा 26 जुलाई को 73.2 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 32.0 से 37.4 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 34.0 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 25.6 से 29.5 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 26.4 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 83 से 98 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 59 से 98 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 3.0 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 4.4 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 2.4 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 4.4 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 3.2 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 4.7 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2024-07-272024-07-282024-07-292024-07-302024-07-31
वर्षा (मि.मी.) 50.015.010.035.040.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3534353534
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2626262726
बादलों की स्थिति (ओक्टा)77777
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9595959595
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम7065607070
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1614121212
हवा की दिशापूर्वदक्षिण-दक्षिण-पूर्व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दक्षिण-दक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
150.0 mm
विशेष मौसम
आने वाले दिनों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 31 जुलाई, 2024 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की किसी प्रकार का छिड़काव ना करें तथा खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखे। दलहनी फसलों तथा सब्जी नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
  • धान की नर्सरी यदि 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में धान की रोपाई अतिशीघ्र करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।
  • वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हूये किसानमक्का की बुवाई मेढ़ों पर करें। संकर किस्में ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 की बुवाई शुरु कर सकते है। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/ हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।
  • यह मौसम बेबी कार्न की किस्म एच एम-4 तथा स्वीट कार्न की बुवाई के लिए उत्तम है।
  • खरीफ की सभी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों का नियंत्रण करें। इससे खरपतवारों द्वारा फसलों को कम हानि होती है तथा जल की बचत होती है और जड़ों का विकास अच्छा होता है।
  • यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उपयुक्त हैं अतःकिसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें । लोबिया की बुवाई का भी यह उपयुक्त समय है।
  • इस मौसम में किसान ग्वार(पूसा नव बहार, दुर्गा बहार), मूली (पूसा चेतकी), लोबिया(पूसा सुकोमल), सेम (पूसा सेम 2, पूसा सेम 3), पालक (पूसा भारती), चौलाई (पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण ) आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार हो तो बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।
  • इस मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे लौकी (उन्नत किस्में पूसा नवीन,पूसा समृद्वि) करेला (पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी), सीताफल (पूसा विश्वास, पूसा विकास), (तोरई की पूसा स्नेहा) किस्मों की बुवाई मेड़ों पर कर मचान पर चढ़ाऐं। 
  • इस मौसम में भिंडी, मिर्च तथा बेलवाली फसल में माईट, जैसिड और होपर  की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर इमिडाक्लोप्रिड़ 17.8 SC @ 0.5 मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें। 
  • इस मौसम में फलों के पौधे किसी प्रमाणित स्रोत से खरीदकर रोपाई करें।
  • वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वे वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते है।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)    

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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