भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-32, क्रमांक:-40/2025-26/गुरु.                                                                                                  समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                                                         दिनांक: 14-08-2025

बीते सप्ताह का मौसम (08 से 14 अगस्त, 2025)

सप्ताह केदौरानआसमानमें हल्के बादल छाये रहें। 09 अगस्त को 73.9 मिमी वर्षा, 10 अगस्त, को 35.1 मिमी वर्षा 12 अगस्त को 57.6 मिमी वर्षा तथा 14 अगस्त, को 6.2 मिमी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 32.5 से 36.8 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 33.6 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 24.0 से 29.9 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 26.4 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 75 से 98 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 60 से 97 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 3.2 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 4.3 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 5.6 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 4.1 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 4.6 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 4.7 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2025-08-152025-08-162025-08-172025-08-182025-08-19
वर्षा (मि.मी.) 10.015.020.010.040.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}3233333333
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}2423242425
बादलों की स्थिति (ओक्टा)77777
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9595908580
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम5565606565
हवा की गति (कि.मी/घंटा)1515152020
हवा की दिशादक्षिण-दक्षिण-पूर्व पूर्व-उत्तर-पूर्वउत्तर-उत्तर-पश्चिमदक्षिण-दक्षिण-पश्चिम दक्षिण-दक्षिण-पूर्व
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
95
विशेष मौसम
कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा/गरज के साथ बौछारें तथा कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 19 अगस्त, 2025 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपरका आक्रमण आरंभ हो सकता है अतः किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें।
  • इस समय धान की फसल मुख्यत: वानस्पतिक वृद्वि की स्थिति में है अत: फसल में कीटों की निगरानी करें। तना छेदक कीट की निगरानी हेतू फिरोमोन प्रपंच @ 3-4 /एकड़ लगाए। यदि पत्त्ता मरोंड या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दानें 10 किलोग्राम/एकड़ का बुरकाव करें।
  • इस मौसम में किसानों को सलाह है कि, स्वीट कोर्न (माधुरी, विन ओरेंज)  तथा बेबी कोर्न (एच एम-4) की बुवाई मेड़ों पर करें।
  • इस मौसम में किसानों को सलाह है कि, गाजर (उन्नत किस्म- पूसा वृष्टि) की बुवाई मेड़ो पर करें। बीज दर 4.0-6.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें तथा खेत तैयार करते समय खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।
  • इस मौसम में किसानों को सलाह है कि यदि टमाटर, मिर्च, बैंगन फूलगोभी व पत्तागोभी की पौध तैयार है तो मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें। 
  • इस मौसम में किसानों को सलाह है कि फूलगोभी की पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड-2 पंत शुभ्रा (नवम्बर-दिसम्बर) की रोपाई हेतु पौध तैयार करना शुरु करें। खरीफ प्याज की तैयार पौध की रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें। 
  • किसानों को सलाह है कि इस समय सरसों साग-पूसा साग-1, मूली-वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकी; पालकआल ग्रीन तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों को ऊपर चढाने की व्यवस्था करे ताकि वर्षा से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके।
  • कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मघुमक्खियों का बडा योगदान है क्योंकि, वेपरांगण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मघुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें। कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें। फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्डे में दबा दें, फल मक्खी केबचाव हेतू खेत में विभिन्न जगहो परगुड़ या चीनी केसाथ (कीटनाशी) का घोल बनाकर छोटे कपया किसी और बरतन में रखदें  ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके।
  • सब्जियों में (टमाटर, बैंगन फूलगोभी व पत्तागोभी) फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड़ बेक मोथ की निगरानी हेतू फिरोमोन प्रपंच @ 3-4/एकड़ लगाए।
  • मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
  • कीटों की रोकथाम के लिए प्रकाश प्रपंश (Light trap)  का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बरतन में पानी और थोडा कीटनाशी मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें। इस प्रपंश से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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