मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in
बीते सप्ताह का मौसम (13 से 19 फरवरी, 2019)
सप्ताह के दौरान आसमान में सुबह के समय हल्का कोहरा रहा। 14फरवरी को 1.4 मि.मी, 15फरवरी को 5.8 मि.मी तथा 19 फरवरी को 3.8 मि.मी वर्षा संस्थान की वैधशाला मे दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 19.0 से 24.4 डिग्री सेल्सियस(साप्ताहिक सामान्य 22.4 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 1.2 से 13.5 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 9.3 डिग्री सेल्सियस)रहा।इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 89 से 98 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 60 से 94 प्रतिशत दर्ज की गई।सप्ताह के दौरान दिन में औसत 2.4 घंटे प्रतिदिन(साप्ताहिक सामान्य 6.3 घंटे)धूप खिली रही।हवा की औसत गति 4.3 कि.मी. प्रतिघंटा(साप्ताहिक सामान्य 4.1 कि.मी. प्रतिघंटा)तथा वाष्पीकरण की औसत दर 1.6 मि.मी. (साप्ताहिक सामान्य 2.8 मि.मी) प्रति दिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न तथा अपराह्न को हवा भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।
भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमीतत्व/दिनांक |
20-02-19 |
21-02-19 |
22-02-19 |
23-02-19 |
24-02-19 |
वर्षा (मि.मी.) |
0.0 |
0.0 |
0.0 |
2.0 |
6.0 |
अधिकतमतापमान {°सेल्सियस} |
23 |
23 |
24 |
25 |
24 |
न्यूनतमतापमान {° सेल्सियस} |
10 |
09 |
10 |
12 |
14 |
बादलोंकीस्थिति (ओक्टा) |
4 |
4 |
5 |
7 |
7 |
सापेक्षिकआर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम |
95 |
95 |
95 |
95 |
98 |
सापेक्षिकआर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम |
60 |
60 |
60 |
65 |
75 |
हवाकीगति (कि.मी/घंटा) |
15 |
20 |
20 |
20 |
15 |
हवाकीदिशा |
उत्तर-उत्तर-पश्चिम |
उत्तर-उत्तर-पश्चिम |
उत्तर-उत्तर-पूर्व |
पूर्व-दक्षिण-पूर्व |
पूर्व-दक्षिण-पूर्व |
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.) |
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विशेष |
20 फरवरी को वर्षा के साथ कहीं-कहीं ओलावर्ष्टि का पूर्वानुमान है।
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साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 24 फरवरी, 2019 तक के लिए
कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।
1. वर्षा को देखते हूए किसानों को सलाह है कि वे सभी फसलों व सब्जियों में सिंचाई कुछ दिनों तक न करें, क्योंकि फसलों में अभी प्रयाप्त नमी है।
2. वर्षा पूर्वानुमान को मध्यनजर रखते हुए किसान सभी तरह के कीट-रोग नाशियों का छिड़काव ना करें।
3. मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान सभी सब्जियों तथा सरसों की फसल में चेपा के आक्रमण की निगरानी करें। यदि कीटों क़ी सख्याँ अधिक हो तो नियंत्रण के लिए सब्जियों में इमिडाक्लोप्रिड @ 0.25-0.5 मि.ली./ लीटर पानी की दर से सब्जियों की तुडाई के बाद करें। सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें। बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें।
4. मूंग और उड़द की फसलों की मार्च में बुवाई हेतु किसान किसी प्रमाणित स्रोत से उन्नत बीजों का संग्रह करें। मूंग– पूसा विशाल, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल-32; उड़द– पंत उड़द-19, पंत उड़द-30, पंत उड़द-35, पी डी यू-1। बुवाई से पूर्व बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से अवश्य उपचार करें।
5. किसानों को सलाह है कि भिंडी की ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई शुरू करें| बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज की मात्रा 10-15 कि.ग्रा./एकड़।
6. मौसम को ध्यान में रखते हुएगेहूँ की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पीला रतुआ के लिये 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उप्युक्त है। 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से उपर रोग का फैलाव नहीं होता। भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमी यूक्त जलवायु आवश्यक है। काला रतुआ के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान ओर नमी रहित जलवायु आवश्यक है।
7. फ्रेंच बीन, गर्मी के मौसम वाली मूली इत्यादि की सीधी बुवाई हेतु वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही प्राप्त करें।
8. मौसम को ध्यान में रखते हुए किसान टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई इस सप्ताह कर सकते हैं।
9. इस मौसम में प्याज की समय से बोयी गई फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। कीट के पाये जाने पर कानफीड़ोर @ 0.5 मिली./ 3 ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि(1.0 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें तथा नीला धब्बा रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण पाये जाने पर डाएथेन- एम-45 @ 3 ग्रा./ली. पानी किसी चिपकने वाले पदार्थ जैसे टीपोल आदि(1 ग्रा. प्रति एक लीटर घोल) में मिलाकर छिड़काव करें।
10. टमाटर के फलों को फली छेदक कीट से बचाव हेतु किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाए। वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश @ 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं।
11. बैंगन की फसल को प्ररोह एवं फल छेदक कीट से बचाव हेतु ग्रसित फलों तथा प्रोरहों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड कीटनाशी 48 एस.सी. @ 1 मि.ली./ 4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
12. इस मौसम में गेंदे में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की सम्भावना बढ जाती है अत: किसान फसल की निगरानी करते रहें यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम\लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
13. इस समय किसान आम के बागों की जुताई करें ताकि मिली बग कीटों के अंडे तथा नये प्रजन्म नष्ट हो सके। पेड़ के मुख्य तने पर लगभग 1 मीटर की उँचाई पर प्लास्टिक (1 फीट चौड़ा) का एक चद्दर तने के चारो ओर लगाएं। ग्रीस से सभी प्रकार के छेदों को बंध कर दें।
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक
डा.अनन्ता वशिष्ठ(नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.देब कुमार दास(प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.सुभाष चन्द्र (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)
डा.जे.पी.एस. ड़बास(प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
डा.बी.एस.तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
डा.पी.सिन्हा(प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)